अभी जो खबर हमारे देश भारत में लगातार चल रही है वह इंडिया का नाम बदलकर क्या भारत रखा जाएगा उसमें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है क्या सरकार अगर यह फैसला लेकर आती है तो सुप्रीम कोर्ट उसमें क्या कर सकती है यह सारे टॉपिक पर आज यह आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं 2016 और 2020 दोनों Year के अंदर सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन दाखिल की गई थी जिसमें यही विषय पर सुप्रीम कोर्ट में बातचीत हुई थी.
अभी के टाइम में स्पेशल सेशन रख कर भारतीय मोदी सरकार एक पार्लियामेंट अरेंज करने जा रही है जो 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर 2023 को होने जा रहा है जिसके अंदर संभावना दिखाई दे रही है कि Bharat Sabd ka उपयोग किया जाएगा इंडिया शब्द हटाकर.
अभी का ताजा जो मामला है जिसमें G20 समिट हमारे देश में होने जा रहा है उसके इनविटेशन पेपर के अंदर या तो सरकारी कागजों के अंदर द प्रेसिडेंट ऑफ भारत या तो प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत ऐसे शब्दों का उसे किया गया है जो पहले द प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया और द प्रेसिडेंट ऑफ़ रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया और द प्राइम मिनिस्टर ऑफ़ इंडिया ऐसे शब्दों का उपयोग होता था.
क्या सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल दे सकता है ?
दिल्ली के एक नागरिक ने 2020 के अंदर सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन दाखिल की थी. उसमें सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट को ऑर्डर देना चाहिए कि हमारे देश का नाम इंडिया को हटाकर सिर्फ और सिर्फ भारत या हिंदुस्तान करना चाहिए और उसकी वजह बताते हुए उसमें लिखा गया था कि इंडिया शब्द एक colonial past से ताल्लुक रखता है. अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता से बाहर आने के लिए हमें इंडिया शब्द को हटाकर भारत या हिंदुस्तान करना ही होगा और भारत शब्द उसे करने में उपयोग करने में हमें प्राउड यानी गर्व महसूस होता है भारत शब्द का उपयोग करते समय सेंस ऑफ प्राइड की अनुभूति होती है और आगे यह भी बताया गया कि हमारे जो Article 1 है संविधान के अंदर वहां पर India, That is Bharat लिखा गया है जहां पर इंडिया हटाना चाहिए.
इंडिया शब्द की जगह भारत का उसे किया जाए तो हमारी फीचर की जनरेशन के मन से काल्पनिक माइंड सेट हटाने में मदद मिलेगी और वह हमारे देश का नाम बोलते समय गर्व महसूस करेंगे.
और आगे यह पिटीशन में यह भी बताया गया कि फ्रीडम फाइटर यानी क्रांतिकारी हमारे भारत में जो भी हो गए हैं जैसे की भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद सुभाष चंद्र बोस लोकमान्य तिलक और उसके अलावा कई सारे वह सारे क्रांतिकारी को हम जस्टिफाई कर सकेंगे.
1949 में जब भारतीय बंधारण लागू हो गया था उससे पहले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो ड्राफ्ट बनाया था उसमें भी यह बताया गया था कि India that is Bharat यह शब्द का उपयोग किया गया था और उसे समय पर भी यह चर्चा जोरो से चली थी कि हमें सिर्फ भारत शब्द का उपयोग ही करना चाहिए इंडिया शब्द की बजाय. उसके बाद से आज तक कोई भी बदलाव संविधान में भारत के नाम से लेकर नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के कौन सा फैसला दिया इस पर है ?
सुप्रीम कोर्ट ने यह पिटीशन का जवाब दिया उसे समय के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे थे उनका कहना यह था कि संविधान के अंदर पहले से ही भारत शब्द का उसे हो रहा है यानी उपयोग हो रहा है तो फिर आप यहां पर क्यों आए हैं वही आर यू कम हियर?
अगर आप चाहते हो कि सिर्फ और सिर्फ भारत शब्द का उपयोग ही हमारे संविधान में हो और इंडिया शब्द का उपयोग संविधान से हटाए दिया जाए तो हम सरकार को आर्डर देते हैं कि आप यह विषय पर विचार करें और यह फैसला सेंट्रल गवर्नमेंट पर ही छोड़ दिया गया यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने सारा फैसला सेंट्रल गवर्नमेंट के हाथों में ही दे दिया .
2016 में ऐसी ही समान पिटीशन दाखिल की गई थी उसका विषय भी यही था और उसे समय के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर थे और उन्होंने यह पिटीशन का जवाब देते हुए कहा था कि हर एक भारतीय को अधिकार है कि वह इंडिया को किस नाम से बुलाए जिसको भी भारत उपयोग करना है वह भारत कर सकता है और जिसको इंडिया शब्द का उपयोग करना है वह इंडिया शब्द का उपयोग कर सकता है और उन्होंने यह बोला कि "Supreme court had no bussiness to either dectate or decide".
2020 और 2016 की समान पिटीशन के समान उत्तर से हमें यह बात पता चलती है कि सुप्रीम कोर्ट के अंदर यह टॉपिक का उत्तर नहीं मिल पाएगा और ना ही भविष्य के अंदर भी सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला ले पाएगा इसीलिए यह तय है कि अगर कोई फैसला ले पाएगा तो वह सेंट्रल गवर्नमेंट ही कर सकेगी मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच में जो पार्लियामेंट्री सेशन का आयोजन किया गया है उसी के अंदर देखना है कि क्या इस विषय पर कुछ निर्णय आप आता है या नहीं अगर सरकार को सिर्फ और सिर्फ भारत शब्द का उपयोग करना है और इंडिया शब्द का उपयोग निकालना है बंधारण से तो यहां पर सरकार को आर्टिकल 368 के अंदर 2/3 Majority से और 50% जो स्टेट है भारत के अंदर उसकी बहुमत सहमति के साथ बिल पसार करना होगा.
दुनिया के अंदर कई कंट्री ऐसी है जो खुद के नाम बदले हैं उसकी पूरी लिस्ट नीचे दी गई है
अगर संविधान में से इंडिया नाम हटा दिया जाए तो एक बड़ी समस्या यह सामने आती है कि बहुत सारे नाम जैसे कि इंडियन ओशन, स्टेट बैंक आफ इंडिया, इंडिया पोस्ट, इसरो यह सारे नाम के अंदर इंडिया नाम का उपयोग हुआ है तो क्या यहां पर से भी इंडिया नाम हटा दिया जाएगा हालांकि यह थोड़ा नामुमकिन लग रहा है लेकिन फैसला सरकार के हाथ में ही है ऐसे तो कई नाम है जिसकी पूरी लिस्ट बन सकती है जहां पर इंडिया इस तरह से उसे कर दिया गया है कि उसको भारत शब्द से उपयोग करना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा लेकिन हमारा मानना तो यही है कि हमारे देश का नाम भारत हो या इंडिया हमें हमारे देश के क्रांतिकारी हमारे देश की विचारधारा हमारे देश के संस्कार हमारे देश की सिद्धियां कभी नहीं भूलनी चाहिए और हमें एक अच्छे नागरिक के तौर पर हमारे देश को विकास करने में सहयोग देना होगा धन्यवाद
दुनिया के अंदर कई कंट्री ऐसी है जो खुद के नाम बदले हैं उसकी पूरी लिस्ट नीचे दी गई है
नाम परिवर्तन
पूराना नाम | नया नाम | कारण |
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Turkey | Turkiye | 2022 में, तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि वह अपने नाम को आधिकारिक रूप से Turkiye में बदल दिया है। तुर्किश प्रेसिडेंट तय्यिप एर्दोगन ने कहा कि नाम Turkiye देश की संस्कृति, सभ्यता, और मूल्यों को सबसे अच्छे तरीके से प्रस्तुत करता है। |
Holland | Netherlands | नीदरलैंड्स को उसकी वैश्विक छवि को अद्यतित करने के उद्देश्य से हॉलैंड से नामकरण किया गया। इस नाम परिवर्तन के साथ, डच लोग देश के खुले, आविष्कारी, और समावेशी राष्ट्र के रूप में अपना ध्यान दिलाना चाहते थे। |
Burma | Myanmar | म्यांमार ने 1989 में अपना वर्तमान नाम प्राप्त किया, जब शासक सैन्य जूंटा ने एक प्रो-लोकतंत्र उपद्रव को दमन किया, सैन्य के नेताओं द्वारा। यह दक्षिण पूर्व एशियाई देश को दरिन प्रमुख बर्मन जाति के नाम के रूप में लंबे समय से जाना जाता था। |
Ceylon | Sri Lanka | पूर्व में सीलॉन के रूप में जाना जाने वाला द्वीप राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक जड़ों को बलात्कारी और ब्रिटिश शासन के इतिहासिक अवशेषों को हटाने के लिए श्रीलंका में नामकरण किया गया। हालांकि, नाम सीलॉन, 2011 में इसे अंततः मिटाया जाने से पहले, सरकारी उपयोग में बना रहा। |
Persia | Iran | मॉडर्न-डे ईरान को इतिहास में 1935 तक पर्शिया के रूप में जाना जाता था। नामकरण का इलान राजा रेज़ा शाह ने देश के लिए एक नई शुरुआत की तारीख के रूप में किया था। हालांकि, खाद्य, कला और साहित्य जैसे दीर्घकालिक सांस्कृतिक निर्यात अब भी पार्सी रूप में संदर्भित किए जाते हैं। |
Siam | Thailand | 1939 तक थाईलैंड को पूर्व में सियाम के रूप में जाना जाता था। 1946 से 1948 के बीच, यह क्षणिक रूप से सियाम पर लौट गया था, फिर यह थाईलैंड के राज्य का नाम बन गया। नया नाम यह दिखाने के लिए चुना गया था कि देश की स्वतंत्रता को बढ़ावा दिलाने और थाई लोगों के राष्ट्रीय गर्व को प्रस्तुत करने के लिए। |
Czech Republic | Czechia | 2016 में चेक गणराज्य ने अपना नाम सिम्प्लिसिटी के लिए बदला, ताकि देश को खेल प्रतियोगिताओं और मार्केटिंग प्रयासों में पहचानने में आसानी हो। |
Cape Verde | Republic of Cabo Verde | केप वर्दे ने 2013 में पुर्तगाली वर्ड Republic of Cabo Verde का पूरा रूप में अपनाया। |
Democratic Republic of Congo | डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो | डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो ने अपने वर्तमान नाम प्राप्त करने से पहले कई बार नाम परिवर्तन किए थे। यह देश पूर्व में कांगो फ्री स्टेट, बेल्जियन कांगो, कांगो-लियोपोल्डविल, कांगो गणराज्य, और जायर गणराज्य के नाम से जाना जाता था। |
Swaziland | Eswatini | पूर्व में स्वाजीलैंड के रूप में जाने जाने वाले देश को 2018 में राजा म्स्वाति III द्वारा ईस्वातिनी के राज्य का नाम देने का नामकरण किया गया। |