क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है?
क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है यह विषय यह टॉपिक बहुत सारे वर्षों से डिबेट का यानी चर्चा का विषय बना रहा है इस बीच सुप्रीम कोर्ट का यह कहना है कि Hindi is national language - witness from West Bengal expected to communicate before UP court in hindi अब हम जानने की कोशिश करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा बयान क्यों दिया सुप्रीम कोर्ट में एक मामला चल रहा था जो 31 जुलाई 2023 के अंदर सामने आया था यह मामले के अंदर एक अकस्मात एक्सीडेंट हुआ था जो वेस्ट बंगाल के Siliguri जगह पर हुआ था.
यह मामले का जो केस था वह उत्तर प्रदेश के फारूक का बाद के एक ट्रिब्यूनल के अंदर हो रहा था यहां पर जो ट्रिब्यूनल है वह ऐसा कोर्ट होता है जहां पर छोटे मामले जैसे की एक्सीडेंट का मामला रेजोल्यूशन करने का प्रयत्न करता है यहां पर जो एक्सीडेंट हुआ अगर उसका कोई नुकसान हुआ है तो उसका क्लेम करने के लिए ऐसे ट्रिब्यूनल के अंदर Case किए जाते हैं.
इस मामले के अंदर एक पिटीशन दाखिल की गई थी जिसमें बताया गया था कि जो बंगाल है जहां पर एक्सीडेंट हुआ था यानी सिलीगुड़ी जो बंगाल का दार्जिलिंग भी बोला जाता है वहां पर ट्रांसफर किया जाए उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से यह petition कोर्ट में दाखिल की गई थी.
इस मामले की सुनवाई करते समय जस्टिस दीपंकर दत्ता ने बोला था कि Hindi is a national language - witnesses कोर्ट में जो भी इस केस के विटनेस है उन्होंने को कम्युनिकेशन करने के लिए हिंदी लैंग्वेज अनिवार्य है ऐसी बात जस्टिस दीपंकर दत्ता बोले.
चाहे आप कोई भी स्टेट से आ रहे हो लेकिन आपको हिंदी लैंग्वेज आनी चाहिए कम्युनिकेशन करने के लिए.
यह केस में सिलीगुड़ी के अंदर जो एक्सीडेंट हुआ था उसमें जिसका ज्यादा नुकसान हुआ था उन्होंने पिटीशन दखल की थी जो उत्तर प्रदेश के हां फरुकाबाद में की थी.
यह पिटीशन के अंदर बताया गया था कि कोर्ट यह कैसे को ट्रिब्यूनल के अंदर Siliguri के अंदर ट्रांसफर कर दी जाए.
यहां पर जिसने पिटीशन दाखिल की उन्होंने का कहना था कि जो यह केस के अंदर विटनेस है वह बंगाली लैंग्वेज से आने की वह वजह से हिंदी के अंदर उत्तर प्रदेश में कोर्ट के अंदर बयान देना उन्होंने मुमकिन नहीं रहेगा.
यह पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया. यह पिटीशन का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "In a country as diverse as India , It is no doubt true that people speak different languages "
यहां पर सुप्रीम कोर्ट का तर्क यह भी था कि जो पार्टी उत्तर प्रदेश की है जो हिंदी जानती है पर बंगाली नहीं जानती तो वह सिलीगुड़ी के अंदर जाकर बंगाली लैंग्वेज में बयान किस तरह से दे पाएगी अगर किसको ट्रांसफर कर दिया गया तो.
अब आपको लग रहा होगा कि अगर एक्सीडेंट सिली गोरी के अंदर हुआ है तो फिर जो केस रजिस्टर हुआ वह उत्तर प्रदेश में कैसे हुआ यहां पर आपको नोटिस करना चाहिए कि मैक्ट जिसको हम ट्रिब्यूनल कहते हैं वहां पर ऐसा नियम है कि जिस का भी नुकसान ज्यादा है उसके पास मौका होता है कि वह कहां पर केस रजिस्टर करवा और यह केस के अंदर उन्होंने उत्तर प्रदेश में कैसे रजिस्टर किया.
यहां पर महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट के जो जज दत्त है वह वेस्ट बंगाल से ही आते हैं और उन्होंने ही यह स्टेटमेंट दिया की हिंदी जो देव नगरी स्क्रिप्ट के अंदर है वह ऑफिशल लैंग्वेज ऑफ़ द यूनियन अंडर आर्टिकल 343 (1).
जब हमारे देश का बंधारण बन रहा था तब 15 सालों के लिए इंग्लिश को ऑफिशल लैंग्वेज बनाया गया था क्योंकि वहां पर उसे टाइम में काफी लोग हिंदी को नहीं जानते थे जो 1947 से 1963 तक का टाइम था उसे टाइम पर इंग्लिश को ऑफिशल लैंग्वेज घोषित किया गया था उसके बाद 1963 के अंदर एक और एक्ट पार्लियामेंट लेकर आया जिसमें इंग्लिश को ऑफिशल लैंग्वेज का दर्जा बता दिया गया और उसकी कोई तारीख या साल तय नहीं की गई तब से हिंदी और इंग्लिश दोनों ऑफिशल लैंग्वेज की तरह उसे होते हैं.
1968 के अंदर एक और resolution लाया गया जिसके अंदर बताया गया कि हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ाना चाहिए और इस तरह पार्लियामेंट हाउस के अंदर हर एक साल रिपोर्ट सबमिट किया जाता है जिसके अंदर हिंदी भाषा का उपयोग कैसे बढ़ाया गया उसके बारे में डिटेल रिपोर्ट होती थी.
2010 में गुजरात हाई कोर्ट ने यह भी बताया कि हिंदी नॉट ए नेशनल लैंग्वेज इस तरह अलग-अलग स्टेटमेंट आने की वजह से क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या नहीं है ऑफिशल लैंग्वेज है या नहीं है उसे पर विवाद बना रहता है.
पिछले साल अमित शाह जो हमारे होम मिनिस्टर है उन्होंने 37th पार्लियामेंट्री ऑफिशल लैंग्वेज कमेटी की मीटिंग के अंदर भाषण देते हुए बताया गया कि हमें हिंदी का उसे यानी उपयोग बढ़ाना चाहिए और हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए की जो लोकल लैंग्वेज है उनका भी उपयोग बना रहे यानी अमित शाह का साहब निर्देश था कि हमें इंग्लिश का उसे यानी उपयोग कम करके हिंदी और अन्य प्रादेशिक भाषाओं का उपयोग बता देना चाहिए.