यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागू होगा भारत में लोग कमीशन ऑफ इंडिया क्या है और लोग कमीशन ऑफ इंडिया यूनिफॉर्म सिविल का कोड लाने में क्या भूमिका रखेगा यह आर्टिकल में हम यह सारी इनफॉरमेशन कर करेंगे
भारत जब से आजाद हुआ है तब से 22 नंबर का लोक कमीशन गठन किए गए थे उनमें से जो 22 नंबर का को कमीशन बना है उसने 14 जून 2023 के दिन एक नोटिफिकेशन जारी किया और बताया गया कि जो सारी पब्लिक है वह और रिलिजियस ऑर्गेनाइजेशंस जो भी है उनका यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में क्या मानना है और क्या मंतव्य देना चाहते हैं वह आकर हमें दे सकते हैं और मेल या अदर कम्युनिकेशन करके हमें गाइड कर सकते हैं
जो 21 नंबर का लोग कमीशन मौजूद वह एक्सपायर हो गया था 2020 के अंदर उसके बाद नई सरकार ने 22 नंबर का को कमीशन गठन किया था.
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है
पहले जान लेते हैं की यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब क्या है हमारे देश में कई रिलिजियस फॉलो होते हैं जैसे कि हिंदू सिख मुस्लिम क्रिश्चियन बौद्ध और अनेक यह सभी रिलिजियस के अंदर जो पर्सनल मैटर्स रहती है जैसे की मैरेज यानी शादी, डाइवोर्स यानी तलाक, इनहेरिटेंस यानी विरासत, के नियम एडॉप्शन यानी दत्तक लेना के लिए अगर हम एक ही कानून यानी सिंगल कानून लागू कर दे तो हम उसे यूनिफॉर्म सिविल कोड कहते हैं.
अभी के टाइम में हमारे देश में यह जो पर्सनल मैटर्स है जैसे की मैरिज डायवोर्स, इन्हेरिटेंस, एडॉप्शन के लिए हर एक रिलिजियस का अलग-अलग कानून रहता है यानी सामान्य नहीं है कानून के नियमों में इसीलिए uniform civil code लागू करने की बात हो रही है.
डीपीएसपीके (DPSP) आर्टिकल 44 यूनिफॉर्म सिविल कोड
डीपीएसपीके (DPSP) आर्टिकल 44 में लिखा गया है कि सरकार को पूरी तरह से प्रयास या प्रयत्न करना चाहिए ताकि यूनिफॉर्म सिविल कोड हमारे देश में अच्छी तरह से लागू हो जाए इसके लिए आर्टिकल 44 में यह शब्द का उसे किया गया है "State shall endeavour".
हालांकि आर्टिकल 44 डीपीएसपी के अंदर नहीं आने की वजह से वह एक justice able नहीं है और वह एक फंडामेंटल राइट्स में नहीं आ पाएगा और उसी की वजह से हम आर्टिकल 44 को अभी के लिए लागू नहीं कर सकते.
क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में पहले से लागू है?
क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में पहले से लागू है कैसे जानते हैं यह आर्टिकल में भारत में जो सिविल मैटर्स है जैसे की इंडियन कांट्रैक्ट एक्ट सिविल प्रोसीजर कोड साल का गुड्स एक्ट ट्रांसफर का प्रॉपर्टी एक्ट पार्टनरशिप एक्ट एविडेंस एक्ट यह सारे जो एक्ट है जो कानून है उसके अंदर पहले से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है यानी आदमी किसी भी रिलिजियस से आता हो यह सारे एक्ट के अंदर समान नियम सामान रिलिजियस के लिए रहते हैं सिर्फ पर्सनल मैटर्स के कानून में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं है और स्टेट गवर्नमेंट यानी राज्य सरकार कई कानून के अंदर बदलाव अपने हिसाब से कर सकती है अगर हम इंडियन मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की बात करेंगे तो वहां पर कई राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार के द्वारा लगाए गए कानून में परिवर्तन किया था जैसे कि वह कानून के अंदर जहां पर ₹10000 का फाइन था वह घटकर ₹2000 कर दिया था और ऐसे तो अनेक एग्जांपल है.
21 नंबर के लो कमीशन ने क्या सुझाव दिए
अब हम बात करेंगे की 21 नंबर के लो कमीशन ने क्या सुझाव दिए थे सरकार को और यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में क्या बोला गया था 21 नंबर के Law commission जो गाइड कर रहे थे जस्टिस बीएस चौहान उन्होंने बोला था कि भारत के अंदर अभी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की जरूरत नहीं है और उसके साथ 185 पेज का एक रिपोर्ट भी सरकार को सोपा गया था उसमें बताया गया था कि भारत में बहुत सारे रिलिजियस बहुत सारे स्टेट के अंदर बैठे होने की वजह से यूनीफामिटी लाने की जरूरत नहीं है अगर वह लागू किया गया तो भारत के अंदर खतरा हो सकता है हालांकि 21 नंबर के Law commission ने यह भी सुझाव दिया था कि मैरेज यानी शादी और डाइवोर्स यानी तलाक के अंदर थोड़े बहुत बदलाव की जरूरत है.
Law commission of India के पास कितनी अथॉरिटी रहती है
अब हम बात करेंगे कि क्या लो कमीशन ऑफ इंडिया भारत सरकार को कानून लाने के लिए दबाव कर सकता है और Law commission of India के पास कितनी अथॉरिटी रहती है अगर हम law कमीशन ऑफ इंडिया की बात करें तो वह एक एडवाइजरी कमेटी है यानी वह सिर्फ सरकार को सलाह ही दे सकती है Law commission of India statutory body नहीं है सत्ता में रहने वाली सरकार ही लोग कमीशन ऑफ इंडिया का गठन करती है अगर हम भारत की बात करें तो भारत में 1955 में फर्स्ट नंबर का लॉ कमीशन ऑफ इंडिया को गठित किया गया था हर एक लॉ कमीशन का समय कल 3 साल का रहता है सरकार को कोई नया कानून लागू करना हो तो वह लॉ कमीशन ऑफ इंडिया को रिपोर्ट बनाने का सुझाव देता है और लॉ कमीशन ऑफ इंडिया इस पर यानि जो नया कानून लागू होना है उसे पर पूरी तरह से रिसर्च करने के बाद जो रिपोर्ट बनता है वह सरकार को शॉप देती है यह रिपोर्ट के अंदर से किस चीज को नए लॉ के अंदर रखना है और नहीं वह सरकार ही तय करती है.
2023 या 2024 के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने होने की संभावना ज्यादा क्यों है?
2023 या 2024 के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने होने की संभावना ज्यादा क्यों है उसके बारे में अगर हम देखें तो 22 नंबर के लॉ कमीशन का कार्यकाल 2020 से 2023 तक सीमित था बट उसकी भारत सरकार यानी मोदी सरकार ने बढ़कर एक्सटेंड कर कर डेढ़ साल और कर दिया है और सरकार ने लॉ कमीशन को बोला है कि डीपीएसपी (DPSP) से कौन से नए कानून लाने चाहिए जो डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स में ले जाए और जो फालतू के कानून है उसको हटा दिया जाए यह बात हमें संकेत देती है कि मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का प्रयत्न कर रही है क्योंकि डायरेक्टिव प्रिंसिपल डीपीएस पी आर्टिकल 44 जो सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए प्रोत्साहित करती है और यही बात सरकार ने LAW कमीशन को बताया है.
जेपी नड्डा का एक स्टेटमेंट 2023 के शुरुआत के दिनों में आया था जो काफी वायरल भी हुआ था उसमें जेपी नड्डा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को इंप्लीमेंट या लागू करने की कोशिश के लिए बात की थी.