वन नेशन वन इलेक्शन क्या है one nation one election kya hai और कितनी दुनिया की कंट्री के अंदर वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट या आइडिया है.

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वन नेशन वन इलेक्शन क्या है one nation one election kya hai और कितनी दुनिया की कंट्री के अंदर वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट या आइडिया है.


हेलो फ्रेंड्स आज की यह आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं वन नेशन वन इलेक्शन के बारे में वन नेशन वन इलेक्शन पूरे वर्ल्ड में किन-किन देशों में लागू है और हमारे देश के नजदीक के कौन से देश है जो यह वन नेशन वन इलेक्शन की तहत काम करते हैं भारत में आज के दिनों में यह टॉपिक वन लेसन वन इलेक्शन ट्रेडिंग में है क्योंकि भारत सरकार ने 8 मेंबर वाली एक कमेटी बना ली है जो यह बात पर डिस्कशन करेगी की हमारे देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने से क्या फायदे हैं और उसके नुकसान क्या है. कहीं मीडिया ग्रुप यह बात बता रहे हैं कि हमारे देश में 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच पार्लियामेंट्री सेशन होने वाला है. 


वन नेशन वन इलेक्शन क्या है one nation one election kya hai और कितनी दुनिया की कंट्री के अंदर वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट या आइडिया है.



यह पार्लियामेंट्री सेशन में वन नेशन वन इलेक्शन के कई बिल पास भी हो सकते हैं और उसके बारे में चर्चा भी हो सकती है उसके अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में भी कई बिल पास हो सकते हैं या तो फिर उसके बारे में चर्चा भी हो सकती है इसका उसे इंपैक्ट भारत की पॉलिटिक्स पर होने वाला है क्योंकि कोई राजनीतिक पार्टियों अलग-अलग मंतव्य इस बारे में रखती है आने वाले समय में हमको पता चलेगा कि भारतीय पॉलिटिक्स में क्या बदलाव आने वाले हैं.


2024 के अंदर कई भारत के स्टेट स्टेट में चुनाव होने वाले हैं और यह अगर लिस्ट देखें तो मिजोरम छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान तेलंगाना आंध्र प्रदेश अरुणाचल प्रदेश ओडिशा सिक्किम हरियाणा महाराष्ट्र झारखंड दिल्ली बिहार असम बहुत सारे स्टेट है जिसकी लिस्ट बहुत लंबी है अब यह जो सारे स्टेट में इलेक्शन होंगे वह बड़ी-बड़ी होंगे और उसकी वजह से भारत सरकार के पर बहुत सारा बिलियंस आफ कॉस्ट हो जाता है खर्चा हो जाता है यह इलेक्शन करवाने के लिए. 


अगर हम 2014 का इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया का अगर खर्चा देखे तो वह ₹3800 करोड़ से भी ऊपर का खर्चा हुआ था अगर हम 2019 का खर्चा देखें इलेक्शन का तो वह इससे भी ज्यादा है अगर हम छोटे-छोटे स्टेट के इलेक्शन के खर्चे देखें तो वह भी 200 से लेकर 300 करोड़ के खर्च हो जाते हैं यानी कि अगर हम अलग-अलग इलेक्शन करवाते हैं देश में तो वहां पर देश का बहुत सारा रुपया बर्बाद हो जाता है और यह खर्चा बढ़ता ही जाएगा.


भारत के अंदर पुराने समय में एक वाटर के पीछे ₹1 का खर्च होता था बट आज के दिन में एक वाटर के पीछे 46 rupaye का खर्च हो जाता है. 


भारत को अगर आगे बढ़ाना है तो वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट अपनाना ही पड़ेगा क्योंकि उसे जो भारत के इलेक्शंस कमिशन का रुपया जो बर्बाद होता है जो लास्ट में हमारे देश के नागरिक का ही रुपया है वह बचेगा और देश को रुपए का कहीं और विकास के कामों में उपयोग में ले सकेगा.


अब हम बात करेंगे कि दुनिया में और कहीं देश है जो डेमोक्रेसी से चलते हैं जैसे की अमेरिका यूरोप कनाडा तो यह देश में क्या वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट नहीं है?


कितनी दुनिया की कंट्री के अंदर वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट या आइडिया है.


पश्चिमी देशों के अंदर सिमुल्टेनियस इलेक्शंस का कांसेप्ट है जो ज्यादातर वन नेशन वन इलेक्शंस के जैसा ही है और यह जो सिमुल्टेनियस इलेक्शंस का जो कांसेप्ट है वह स्वीडन और बेल्जियम कंट्रीज में अच्छी तरह से फॉलो होता है और यही कंट्रीज जैसे कि स्वीडन से इंस्पिरेशन हमारे देश में वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट आया है. 


हमारे देश में वन इलेक्शन वन नेशन की योजना लागू नहीं होने से बहुत सारा फोकस देश के विकास से हटकर फॉक्स सिर्फ इलेक्शन जीतने में और पब्लिसिटी करने में ही चला जाता है.


 एशिया की बात करें तो इंडोनेशिया इकलौता देश है जो 28 करोड़ पापुलेशन होने के साथ थर्ड लार्जेस्ट डेमोक्रेसी वर्ल्ड के अंदर है और यहां पर वन नेशन वन इलेक्शंस का कॉन्सेप्ट रन हो रहा है और यही देश के अंदर शब्द बिगेस्ट सिंगल डे इलेक्शन होने जा रहा है 2024 के अंदर और यही कंट्री लॉट्स आफ मनी बहुत सारा पैसा बचाएगी जो इंडोनेशिया के विकास के अंदर काम आएगा और इंडोनेशिया यह वन नेशन वन इलेक्शंस का बहुत ज्यादा फायदा उठा पाएगी.


One nation one election program ke nuksan कौन से नुकसान है वन इलेक्शन वन नेशन के


अगर हम बात करें वन नेशन वन इलेक्शन के नुकसान या डिसएडवांटेज के बारे में तो एक बड़ा डिसएडवांटेज यह निकाल कर आता है कि जो छोटी पॉलीटिकल पार्टी है जो रीजनल पॉलीटिकल पार्टी है उसको यहां पर नुकसान हो सकता है वह नुकसान किस तरह से होगा उसके बारे में अगर हम डिस्कस करें तो जो 1 नेशन वन इलेक्शन का प्रोग्राम है वह दो या तीन मंथ में पूरे देश में लागू होगा और यही छोटे टाइम पीरियड में जो छोटी पार्टी है जो रीजनल पार्टी है वह ट्रेडिंग में नहीं आ पाएगी जो main media stream ke andar छोटी पार्टी नहीं आ पाएगी. इसीलिए जब भी मोदी सरकार वन नेशन वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट या प्रोग्राम भारत देश में लागू करेंगे तो फ्यूचर में भविष्य में यही छोटी पार्टी उसका विरोध कर सकती है.


हालांकि मेरे प्यारे भारत देश के नागरिक इतने मेच्योर और अंडरस्टैंडिंग रखते हैं कि हमें कौन से पॉलीटिकल पार्टी को और कौन से नेता को वोट देना चाहिए जो मेरे भारत को विकास की ओर ले जा सके अल्टीमेटली यह डिसीजन भारत के नागरिक को पर ही हम छोड़ते हैं कि उनको क्या करना चाहिए किसे वोट देना चाहिए.





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Today | 12, April 2025