नई संसद भवन में नया मामला क्या है? secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) in indian constitution.

 नई संसद भवन में नया मामला क्या है? secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) in indian constitution.


अभी जो पार्लियामेंट का स्पेशल सेशन चल रहा है जो की 5 दोनों का है उसके बारे में अगर हमें पता हो तो वहां पर एक कॉन्ट्रोवर्सी ने जन्म लिया है यही आर्टिकल के अंदर हम उसके बारे में डिटेल्स में बात करेंगे


हमारा जो पुराना संसद भवन था उसमें से नई संसद भवन में सारे पार्लियामेंट के मेंबर को लाया गया और इस दौरान यह घटना हुई और दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) के बारे में विपक्ष का एक नया कंट्रोवर्सी का मुद्दा सामने आया यह विषय के अंदर विस्तार से हम जानने का प्रयत्न करेंगे.


हमारे देश के विपक्ष के नेता अधीरंजन चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाया है कि हमारे भारत के संविधान की प्रस्तावना के अंदर दिए गए दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) यह दोनों शब्दों को संविधान से हटाया गया है.



secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) यह शब्दों का सारा मामला क्या है?


हमारा जो पुराना संसद भवन है जिसको अब संविधान सदन नाम से जाना जाएगा वह संसद भवन के अंदर एक फंक्शन रखा गया था और यह फंक्शन के बाद सारे पार्लियामेंट के मेंबर्स को नए संसद भवन में लाया गया इस दौरान सभी मेंबर्स को तीन चीज दी गई थी उनमें से एक हमारे भारत का संविधान की कॉपी थी और यही कॉपी के अंदर दो शब्द.


secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) को हटाया गया है ऐसा आप अधीरंजन चौधरी के द्वारा लगाया गया.


अभिरंजन चौधरी नाम अपनी बात रखते हुए कहां की भारत देश का संविधान गीता कुरान और बाइबल से कम नहीं है और उसके अंदर बदलाव लाना इस तरह से चालाकी से वह चिंता का विषय है



सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही बताया है कि जो भारतीय संविधान की प्रस्तावना है वह भारतीय संविधान का एक भाग ही है और उसके अंदर बदलाव करने के लिए पार्लियामेंट के अंदर बिल पास करना होगा और यहां पर विपक्ष का ऐसा आरोप है कि ऐसा कुछ नहीं करके ऐसे ही संविधान की प्रस्तावना के अंदर बदलाव करना चिंता का विषय है.


अभिरंजन चौधरी नाम अपनी बात रखते हुए कहां की भारत देश का संविधान गीता कुरान और बाइबल से कम नहीं है और उसके अंदर बदलाव लाना इस तरह से चालाकी से वह चिंता का विषय है


आगे उन्होंने बताते हुए कहां की अभी जो कंट्रोवर्सी चल रही है इंडिया और भारत के नाम से वह भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि हम इंडिया और भारत दोनों को समान मानते हैं


अब हम जानते हैं कि दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) भारतीय संविधान के अंदर किस तरह से ऐड किए गए?


इंदिरा गांधी की जब सरकार थी तब इमरजेंसी के दौरान भारतीय संविधान का 42 नंबर का बदलाव क्रमांक लाकर 1976 के अंदर यह कार्य किया गया.


इंदिरा गांधी ने उसे समय भारत में इमरजेंसी के समय में भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अंदर बहुत सारे बदलाव किए गए और इस वजह से जो भारतीय संविधान का प्रस्तावना है उसको मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी कहा जाता है.


आप नीचे दिए गए इमेज को देखिए जहां पर आपको ओरिजिनल और बदलाव किए गए संविधान की प्रस्तावना दिखेगी


ओरिजिनल और बदलाव किए गए संविधान की प्रस्तावना दिखेगी




भारतीय संविधान के अंदर भारतीय संविधान की प्रस्तावना की जरूरत क्यों है?


भारतीय संविधान के अंदर भारतीय संविधान की प्रस्तावना की जरूरत क्यों है अगर उसके बारे में बात करें तो भारतीय संविधान की प्रस्तावना का हेतु संविधान के principal and goals को बताने के लिए रखा गया है साथ ही में वह प्रस्तावना भारतीय संविधान का प्रेजेंटेशन करती है यानी वह बहुत महत्वपूर्ण है.


हिस्ट्री ऑफ secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) इन इंडियन कांस्टीट्यूशन


भारत देश आजाद होने के बाद जब भारतीय संविधान का निर्माण हो रहा था तब भारतीय संविधान की प्रस्तावना के दौरान वहां पर जो वार्तालाप हुआ था संसद के अंदर वहां पर पार्लियामेंट के जो सदस्य थे K T Shah and Brajeshwar prasad उन्होंने अपना प्रस्ताव रखते हुए कहां की यह दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) भारतीय बंधारण की प्रस्तावना के अंदर जोड़े जाए और इस दौरान भारतीय बंधारण रचना में महत्व की भूमिका रखने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहां की हम लोकशाही का समर्थन करते हैं और इस वजह से आने वाले समय के अंदर हमारे देशवासियों को ही तय करने का अधिकार होना चाहिए कि यह दो शब्द यानी की secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) भारतीय बंधारण के अंदर रखे या नहीं रखें वह समय की अगर हम बात करें तो दुनिया के बड़े दो देश रसिया और अमेरिका के अंदर इस बात को लेकर तनाव था कि सोशलिस्ट बेहतर है या कैपिटल बेहतर है.


डॉ भीमराव अंबेडकर ने उसे समय बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया कि संविधान के अंदर यह दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) अभी के लिए नहीं रखना चाहिए.


इंदिरा गांधी के आपातकाल के समय के बाद जब भारत देश के अंदर जनता सरकार का गठन हुआ तब यह सरकार ने 44 नंबर का बदलाव क्रमांक भारतीय संविधान के अंदर लाया उसके अंदर जो भी बदलाव इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के दौरान भारतीय संविधान के अंदर किए थे उसको हटाया गया इस समय में यह दो शब्द secular and socialist (सेकुलर एंड सोशलिस्ट) को भारतीय संविधान की प्रस्तावना से हटाया नहीं गया था

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