दुनिया के सारे नक्शे क्या गलत है? भारत की एक्चुअल वास्तविक साइज नशे में क्या है?- What is Indian actual Size of Map? तो सही नक्शा क्या है?
दुनिया के सारे नक्शे यानी कि जो मैप है वह गलत है तो क्या एक्चुअल वास्तविक साइज और मैप कौन से है यह बात सुनकर आपको आश्चर्य होगा बट सच में यह बात वास्तविक है कि दुनिया के जो भी सारे नक्शे हैं वह गलत है तो यह आर्टिकल के अंदर हम यह जानने का प्रयत्न करेंगे कि दुनिया के सारे नक्शे अगर गलत है तो एक्चुअल वास्तविक साइज मैप्स की क्या है और उसमें हमारा भारत कैसा दिखता है और उसकी साइज क्या है?
दुनिया में उसे होने वाला Mercator projection मैप क्यों गलत है?
अभी जो मैप उपयोग में ले रहे हैं वह Mercator projection के हिसाब से हो रहा है यह Mercator projection नाम एक जर्मन कैटोग्राफर के नाम से पड़ा हुआ है Mercator projection जर्मन कैटोग्राफर Mercator ने 1569 में डेवलप किया था यानी कि बनाया था. यह मैप के साथ बहुत सारे प्रॉब्लम, खामियां हैं.
मर्केटर प्रोजेक्शन मैप किस तरह बना उसके बारे में बात करें तो हमारी पृथ्वी को एक सिलैंडरिकल projection के अंदर कन्वर्ट किया है और यह जो सिलैंडरिकल projection में कन्वर्ट करने के बाद एक फ्लैट पेपर के अंदर projection को कन्वर्ट किया है यानी हमें जो मैप फ्लैट पेपर के अंदर मिलता है वह Mercator projection बोला जाता है और यह हम मैप आज भी use होता है.
यह मैप के प्रॉब्लम्स के बारे में बात करें तो जो भी देश मैप के अंदर इक्वेटर के पास होते हैं उसकी साइज छोटा रहती है और जैसे हम नॉर्थ साइड और साउथ साइड चले जाएंगे तो वहां पर रहने वाले देश की साइज बढ़ती जाएगी यानी की जो उसकी एक्चुअल साइज है उस डिफरेंट होगा यह बात हम नीचे दिए गए इमेज से अच्छी तरह से समझ पाएंगे जहां पर इक्वेटर के पास रहने वाला देश की कंपैरिजन अगर हम नॉर्थ और साउथ साइड के देशों से करेंगे तो बहुत सारा वेरिएशन यानी डिफरेंट आएगा.
रसिया और भारत का कंपैरिजन करें तो हमें इमेज में दिखाई देगा की रसिया इमेज के अंदर बहुत बड़ा दिख रहा है बट एक्चुअल में जब हम रसिया को इक्वेटर के पास लेंगे तो उसकी साइज इतनी बड़ी नहीं रह जाती जितनी हमें सोची हुई थी जो हमें इमेज में दिखाई दे रही है वैसे ही ग्रीनलैंड और भारत के कंपैरिजन में देखे तो ग्रीनलैंड और भारत इक्वेटर के पास दोनों की साइज समान रहती है परंतु यह मैप मर्केटर प्रोजेक्शन के हिसाब से ग्रीनलैंड बहुत बड़ा दिखाई देता है यह बात इमेज में दिखाई दे रही है
अगर हम साइकोलॉजिकल बात देखें तो यह बात इंडिया को और इक्वेटर के पास रहने वाले सारे देश को बड़ा हिट करता है यानी बड़ा नुकसान दे सकता है जैसे की कोई और देश जो वास्तव में बड़ा नहीं दिखता बट मैप के अंदर बाद दिखाई देता है तो इक्वेटर के पास रहने वाले देश एक साइकोलॉजिकल आइडिया में जीते हैं कि हमारे देश की साइज छोटा है हालांकि यह बात आज के जमाने में एजुकेशन आने की वजह से पूर्णता सत्य नहीं है.
यही प्रॉब्लम की वजह से एक नया मैप यानी नक्शा इंट्रोड्यूस किया गया था जिसका नाम कल Gall Peters Projections से बना हुआ कहते हैं हम यह मैप के अंदर जो आपको इमेज में दिखाई दे रहा है इस तरह हर देश को समान रूप से देखने की कोशिश की गई है बट यह मैप में भी थोड़ा वेरिएशन हो जाता है यूरोपियन वेस्टर्न कंट्रीज के अंदर और यह देश थोड़े अलग से दिखते हैं
हमारी पृथ्वी यानी अर्थ गोल होने की वजह से एक मैप को फ्लैट सर्फेस पर प्रजेंट करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है बट जैसे-जैसे फीचर में नए इतिहास डेवलप होते जा रहे थे कहीं और मैप्स भी बाहर आए.
यह मैप के अंदर Winkel tripel projection जो 1921 में बनाया गया था और यह मैप में सारी साइज अलग-अलग देश के कर प्रॉपर्ली अच्छी तरह से की गई थी यह हम नीचे दिए गए इमेज से देख सकते हैं
सबसे बेहतर मैप को पढ़ने का और समझने का तरीका कौन सा है?
अगर हम सबसे बेहतर तरीका मैप को देखने का और समझने का निकले तो वह एक ही है और वह ग्लोब का है दुनिया के सारे बड़े लीडर्स के अगर हम फोटो देखेंगे तो वह अपने पास एक ग्लोब रखते ही रखते हैं क्योंकि ग्लोब से हमें पूरी तरह सचोट सारे देश के साइज अच्छी तरह से और प्रॉपर्ली दिखाई दे सकती है.