महिला अनामत बिल 2023 क्या है?
यह आर्टिकल के अंदर हम जानेंगे कि महिला अनामत बिल 2023 क्या है? भारत सरकार का जो यह फैसला है महिला अनामत बल के बारे में क्या वह सही है या गलत है.
महिला अनामत बिल की बात करने से पहले हम बात करने वाले हैं हमारे कई सारी स्वतंत्रता सेनानी कदंबिनी गांगुली जिन्होंने कांग्रेस का जब फॉर्मेशन हुआ तब 1880 में स्पीच दी थी उसके अलावा सरोजिनी नायडू रानी लक्ष्मीबाई और इन्होंने की तरह कई सारी महिलाएं जो भारत के निर्माण में महत्व का योगदान दिया है.
हमारे भारत देश के अंदर आखिर महिला आरक्षण बिल की जरूरत क्यों है इसके बारे में हम अगर सोचेंगे तो हमें पता चलेगा कि मेल फीमेल पापुलेशन का जो Ratio है हमारे देश के अंदर उसके हिसाब से जो लीडरशिप रूल भारत के अंदर मेल और फीमेल यानी पुरुष और महिला के बीच में बहुत ज्यादा अंतर है.
अगर हम सरल शब्दों में समझे तो यह है कि जितने पुरुष की संख्या है उसके हिसाब से पुरुष की लीडरशिप भारतीय राजनीति के अंदर ज्यादा है बल्कि महिलाओं की लीडरशिप उनकी संख्या के हिसाब से कम है और यही तफावत को कम करने के लिए भारत सरकार ने महिला अनामत बिल 2023 को लागू किया है.
भारतीय जनगणना के हिसाब से 2011 ईयर के अंदर जो भी डाटा निकाल के आए हैं उसमें 1000 पुरुष के हिसाब में 943 महिलाएं है.
अगर 2021 साल कऐ डाटा के अनुसार (Ministry of health and family welfare) मिनिस्ट्री आफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के द्वारा दिए गए थे उसमें बताया गया था कि 1000 पुरुष के सामने 1020 महिलाएं है.
हमारे देश के लोकसभा के अंदर 14.94 परसेंटेज महिलाएं नेतृत्व करती है जबकि राज्यसभा के अंदर 14.05 परसेंटेज महिलाएं नेतृत्व करती है.
ऊपर दिए गए सारे डेटा और उदाहरण से हमें यह मालूम होता है कि महिलाओं की संख्या के सामने महिलाओं की लीडरशिप या नेतृत्व भारतीय राजनीति के अंदर बहुत कम है और इस वजह से महिला आरक्षण बिल को लाना जरूरी है ताकि महिलाओं का नेतृत्व भारतीय राजनीति में बना रहे ताकि देश के अंदर नेतृत्व के क्षेत्र के अंदर भी सामान्य बनी रहे.
रवांडा जैसा देश के अंदर भी सबसे ज्यादा महिला आरक्षण के तहत महिलाएं लीडर लीडरशिप के अंदर आगे है तो फिर हमारा भारत देश क्यों पीछे रह जाए.
राज्य क्षेत्र के अंदर राज्य विधानसभा के अंदर नेशनल एवरेज के हिसाब से अगर देखे तो वहां पर 8% महिलाएं नेतृत्व में है तो क्या आपको यह नहीं लगता कि महिलाओं का नेतृत्व यानी लीडरशिप भारतीय राजनीति के अंदर बढ़ानी चाहिए?
आरक्षण के प्रकार क्या है? वर्टिकल रिजर्वेशन क्या है? हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन क्या है?
भारत के अंदर रिजर्वेशन यानी आरक्षण दो तरीकों से दिया जाता है वर्टिकल और होरिजेंटल अगर हम एजुकेशन यानी study के मामले में देखें तो वहां पर वर्टिकल रिजर्वेशन सिस्टम रहती है.
नीचे दिए गए चित्र से आपको वर्टिकल आरक्षण सिस्टम का पता चल जाएगा अगर हम 100 स्टूडेंट की बात करें तो वहां पर 40 जनरल कैटेगरी (General) में 10 ईडब्ल्यूएस कैटेगरी (EWS) में 27 ओबीसी कैटेगरी (OBC) में बाकी के एससी एसटी कैटेगरी (ST/SC) में आ सकती है और यह एक सिंपल सा फॉर्मेशन है जिसे हम वर्टिकल रिजर्वेशन यानी आरक्षण सिस्टम कहते हैं
अगर हम होरिजेंटल आरक्षण सिस्टम की बात करें तो वहां पर थोड़ा कैलकुलेशन चेंज हो जाता है यहां पर आरक्षण के अंदर आरक्षण देने की बात होती है जैसे कि अगर कोई व्यक्ति फिजिकल डिसेबिलिटी के अंदर आता है तो उसको आरक्षण देते समय उनको जनरल कैटेगरी के अंदर भी ओबीसी कैटेगरी के अंदर भी और ऐसी एसटी कैटेगरी के अंदर भी आरक्षण मिलता है यानी हर एक कैटिगरी के अंदर आरक्षण मिलने का मतलब यह है कि अगर कोई फिजिकल डिसेबिलिटी के अंदर जनरल कैटेगरी में है तो उनको जनरल कैटेगरी के अंदर आने वाले रिजर्वेशन में सीट मिलेगी इस तरह बाकी के ओबीसी और एससी एसटी के लिए लागू होगा
भारत में जो महिला आरक्षण बिल 2023 लागू हुआ है वह हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन है
भारत में जो महिला आरक्षण बिल 2023 लागू हुआ वह सिर्फ और सिर्फ लोकसभा के लिए है यह बिल राज्यसभा के लिए लागू नहीं हो सकता हमें यह बात को ध्यान में रखना चाहिए
हम अगर लोकसभा की बात करें तो महिला आरक्षण बिल को समझने के लिए वहां पर 550 सीट है उनमें से अगर एसटी के पास 84 सीट है तो महिलाओं के लिए वहां पर 33 परसेंटेज सीट रिजर्व रहेगी इसी तरह एसटी के पास 47 सीट है तो वहां पर 33 परसेंटेज सेट महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी इस तरह ओपन कैटेगरी के अंदर भी 33 परसेंटेज सेट महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी
पार्लियामेंट के जो दो हाउस है लोकसभा और राज्यसभा उसके अंदर अगर लोकसभा के अंदर 550 मेंबर्स है तो वहां पर 182 महिलाएं MPs के फार्म में सिलेक्ट होगी. जबकि राज्यसभा के अंदर अगर 250 सदस्य है तो वहां पर 83 महिलाएं आरक्षित नहीं होगी यह बात हमें ध्यान में रखनी है क्योंकि यह नियम अभी सिर्फ लोकसभा में ही है.
जैसे हमने लोकसभा की बात की इस तरह हर एक राज्य के अंदर जो विधानसभा आए होती है उसके अंदर भी महिला आरक्षण 33 परसेंटेज रहेगा.
राजनीति के अंदर महिला आरक्षण के नुकसान
आपने कई बार सरपंच पति ऐसा नाम सुना होगा और यही सबसे बड़ी समस्या सामने आती है जब हम महिला आरक्षण की बात नेतृत्व के अंदर करते हैं तब यहां पर होता यह है कि महिला का उपयोग सिर्फ और सिर्फ वह सीट से खड़े रहने के लिए ही किया जाता है बाकी का जो भी कारोबार होता है वह उनके पति द्वारा किया जाता है यहां पर सिर्फ दिखावे के लिए ही महिला को नेतृत्व के नाम पर रखा जाता है वास्तव में यह जो culture समाज के अंदर बनता है वह समाज को नई दिशा नहीं दे पाता.
दूसरी बड़ी समस्या यह खड़ी होती है कि एक्सेप्टेंस यानी स्वीकार्यता क्या महिलाओं की भारतीय राजनीति के अंदर स्वीकार्यता होगी क्योंकि हमारे समाज के अंदर महिलाएं नेतृत्व के बारे में ज्यादा नहीं सोचती पर हमारा भारत वासियों का यह संकल्प है कि हम महिलाओं को भी भारतीय नेतृत्व के अंदर आगे आने का मौका देंगे और भारत के निर्माण में सहयोग देंगे.