2023 के साल के अंदर दशहरा यानी की विजयदशमी की तारीख 24 अक्टूबर 2023 है आज के यह आर्टिकल के अंदर हम देखेंगे की दशहरा को दशहरा या विजयदशमी क्यों कहा जाता है?
उसके पीछे का तात्पर्य क्या है उसके पीछे की पुराण की वार्ता क्या है उसे दिन क्या हुआ था उसके साथ ही यह आर्टिकल के अंदर हम व्हाट्सएप स्टेटस भी देखेंगे जो हम Vijaya दशमी यानी दशहरा के दिन व्हाट्सएप स्टेटस लगा सके और दूसरे लोगों को शेयर भी कर सके.
पहले हम समझने की कोशिश करते हैं की मां दुर्गा के नव अवतारों के पीछे क्या नॉलेज छिपा हुआ है.
सात संप्रदाय के अंदर मां दुर्गा को ब्रह्म के स्वरूप में जाना जाता है जिसके अंदर मां दुर्गा को निराकार रूप का सगुन स्वरूप माना जाता है दुनिया के अंदर इकलौता ही ऐसा संप्रदाय है जिसके अंदर ब्रह्मांड की उत्पत्ति की शक्ति को एक स्त्री के रूप में देखा जाता है मां दुर्गा की उपासना का इतिहास बहुत पुराना है केवल पुराने के अंदर ही नहीं परंतु आगम ग में उपरांत रामायण महाभारत और उसके अलावा कहीं और ग के अंदर मां दुर्गा की मां शेरों वालों की उपासना की जाती थी.
भगवान विष्णु के दशा अवतार पूरी मानवता के इवोल्यूशन को दर्शाते हैं जैसे कि उनका पहला अवतार मत्स्य अवतार दर्शाता है कि कैसे समुद्र के अंदर से जीवन की उत्पत्ति हुई उसके बाद भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार की जैसे समुद्र से तल पर जीवन आया फिर वराह अवतार और उसके बाद कई और अवतार जो मनुष्य के इवोल्यूशन को दर्शाता है और समझाना भी है.
जबकि मां दुर्गा के अवतार व्यक्ति के इंडिविजुअल वह आदमी हो या औरत उनके जीवन के अंदर रहने वाले अलग-अलग पड़ाव के बारे में समझते है
1. मां दुर्गा का पहला अवतार शैलपुत्री
मां दुर्गा का पहला अवतार शैलपुत्री जिसके अंदर दो शब्द छुपे हैं यानी एक सैल और दूसरा पुत्री जिसके अंदर शैल का मतलब पर्वत और पुत्री का मतलब daughter है यानी पूरा मतलब हो जाता है daughter ऑफ द माउंटेन अगर हम यह अवतार की तुलना करें तो वह एक नवजात शिशु की तरह है जो तुरंत तुरंत पैदा हुआ होता है जब शिशु पैदा होता है तो वह अपने नाम से नहीं परंतु अपने मां-बाप के नाम से जाना जाता है इस तरह मां शैलपुत्री अपने मां-बाप के नाम से जाना चाहती है मां शैलपुत्री के एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ के अंदर कमाल है trishul है वह विध्वंस का प्रतीक है जबकि कमाल है वह सौम्यता का प्रतीक है यह दोनों प्रतीक हमें समझते हैं की मां शैलपुत्री असुरों का संहार भी कर सकती है और मां शांति आनंद और धर्म की स्थापना भी कर सकती है और वह उनका पोटेंशियल है
2. मां दुर्गा का दूसरा अवतार है वह ब्रह्मचारी
मां दुर्गा का दूसरा अवतार है वह ब्रह्मचारी है जो अवतार की तुलना हम एक विद्यालय के अंदर जाने वाले शिशु की तरह कर सकते हैं अगर हम अपने पुराणिक समय को देख तो वहां पर 25 साल तक व्यक्ति अभ्यास करता था गुरुकुल के अंदर वहां पर वह ब्रह्मचर्य का पालन भी करना होता था अगर हम मां ब्रह्मचारिणी के vastra को देख तो वहां पर सफेद वस्त्र देखने को मिलेगा सफेद वस्त्र हमको दिखता है कि हमें मैटेरियलिज्म से दूर जाना है यह जो उम्र है हमारी वह त्याग और तपस्या की है जो हमारा पूरा फोकस है वह अध्ययन में लगना चाहिए मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में देखे तो एक हाथ के अंदर कमंडल है और दूसरे हाथ के अंदर माल है जो उनका तपस्विनी स्वरूप है यह त्याग और तब का स्वरूप है
3. मां दुर्गा का तीसरा अवतार चंद्रघंटा
मां दुर्गा का तीसरा अवतार चंद्रघंटा है मां का यह स्वरूप संपूर्ण संपन्न है इस स्वरूप के अंदर मां के 10-10 हाथ है मां चंद्रघंटा के हाथों में शस्त्रों भी है और कई सारे कमंडल भी कमल भी है यहां पर मां दुर्गा भक्ति और शक्ति दोनों से परिपूर्ण है मां का यह रूप दर्शाता है कि एक परिपूर्ण व्यक्ति जो गुरुकुल के अंदर संपूर्ण ज्ञान लेकर संपूर्ण स्किल के साथ देखने को मिलता है यह स्वरूप किसी भी तरह की मुश्किलों के सामने खड़े रहने के लिए और लड़ने के लिए भी तैयार है यह स्वरूप के अंदर मां की तीसरी आंख भी खुली हुई है वह दर्शाती है की मां संपूर्ण knowlage से पूर्ण है.
4.मां दुर्गा का चौथा अवतार कुष्मांडा
मां दुर्गा का चौथा अवतार कुष्मांडा है अगर हम कुष्मांडा नाम के अंदर देख तो वहां पर कू का मतलब होता है छोटा उस्मा का मतलब होता है ऊर्जा और अंडा का मतलब होता है egg. मां का यह स्वरूप एक कॉस्मिक एग की तरह है और ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो मन यही स्वरूप के अंदर से ही ब्रह्मांड का उदय किया यानी कि ब्रह्मांड की रचना की अगर हम ध्यान से देखे तो मां कुष्मांडा के यह रूप के अंदर मां एक घड़ा हाथ में लेकर विराजमान है हमारे पौराणिक कथा में कहा गया है कि घड़ा एक गर्भ का सिंबल है सांकेतिक रूप है यानी मां ब्रह्मांड के गर्भ को यही रूप में जन्म देती है
5. मां दुर्गा का पांचवा अवतार यानी स्कंदमाता
मां दुर्गा का पांचवा अवतार यानी स्कंदमाता यह अवतार के अंदर आप देखेंगे तो मां का अवतार एक माता के रूप में हो गया है और उनके पुत्र जो स्कंध है यानि भगवान कार्तिकेय है रानी वह स्कंदमाता कार्तिकेय की माता है यह स्वरूप के अंदर माता ममता में है पुत्र वात्सल्य से परिपूर्ण है इसीलिए यह रूप के अंदर माता के हाथ में कोई शस्त्र नहीं है मां का संपूर्ण ध्यान अभी अपने पुत्र पर है
6. मां दुर्गा का sixth अवतार कात्यायनी
मां दुर्गा का sixth अवतार कात्यायनी यही रूप के अंदर मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था जब एक स्त्री मां बनती है तो वह शक्तिशाली हो जाती है यह शक्तिशाली कात्यायनी रूप के अंदर कभी-कभी माता के 18 हाथ यानी 18 भुजाएं भी दिखाई जाती है
7. मां दुर्गा का सातवां अवतार कालरात्रि
मां दुर्गा का सातवां अवतार कालरात्रि मां दुर्गा कि यह अवतार को हम मां काली भी बोलते हैं कालरात्रि का अगर हम मतलब निकले तो दो अर्थ निकलते हैं एक काला रंग और दूसरा कालरात्रि यानी कल को भी निगल जाने वाली मां के यह रूप के अंदर मां भयंकर रूप में दिखाई देती है मां के यह प्रचंड रूप में मां काली काल को भी निकल रही है यह मां का क्रोधित रूप है जिसमें मां का सब्र टूट चुका है यही रूप के अंदर मां काली ने रक्त बीज के रक्त को पीकर रक्तबीज का वध किया था मां के यह रूप के अंदर मां इतनी प्रचंड क्रोधित हो गई थी कि मां के पति को यानी महादेव को आना पड़ा था मां के क्रोध को शांत करने के लिए
8. मां का आठवां अवतार महागौरी
मां का आठवां अवतार महागौरी यह अवतार के अंदर मां दुर्गा एक सौम्य रूप में दिखाई देंगे मां दुर्गा ने हमें बताया की रौद्र रूप महाकाली स्कंदमाता रूप परिपूर्ण रूप ऐसे शक्तिशाली रूपों के बाद मां एक सौम्य से भरपूर रूप भी ले सकती है जिसके अंदर मां सौम्यता के साथ अपने पति महादेव और अपने पुत्रों कार्तिकेय और श्री गणेश के साथ भी दिखाई देती है यहां पर मां एक पारिवारिक सौहार्द के रूप में दिखाई देती है यह रूप एक स्त्री का अपने परिवार के लिए उन्नति और सुख का उत्तरदायित्व है उसको दिखता है
9. मां का नौवां अवतार सिद्धि दात्री
मां का नौवां अवतार सिद्धि दात्री मां के यह नाव में अवतार सिद्धिदात्री के स्वरूप को हम देखने की कोशिश करें तो यहां पर मां एक परिपूर्ण होकर सभी प्रकार के ज्ञान से संपन्न होकर सारी सिद्धियां प्रकार अपने आने वाली जनरेशन को ज्ञान देने के लिए तत्पर है यहां पर मां हमारी दादी और नानी की तरह दिखाई दी गई है जहां पर जीवन के सारे अनुभव पूर्ण रूप से लेकर मां अपने बच्चों को नॉलेज और सिद्धियां देने को तत्पर है इसीलिए कहा जाता है कि यह स्वरूप के अंदर मां अपने भक्तों पर अपरंपार कृपा बरसआती है
दशहरा को दशहरा या विजयदशमी क्यों कहा जाता है?
दशहरा यानी विजयदशमी दोनों एक दूसरे के पर्याय है क्योंकि उसे दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी मां दुर्गा के हमने नव रूपों का हमने वर्णन देखा वह नौ रूपों में से जब मां दुर्गा कात्यायनी रूप के अंदर थी तब उसे समय पर महिषासुर नाम से राक्षस था वह अधर्म का प्रचार करके धर्म को नुकसान और हानि पहुंचाने का काम करता था उसी का ही वध मां दुर्गा ने कात्यायनी रूप के अंदर 9 दिन के युद्ध के बाद दसवे दिन किया था.
साथ ही में और एक घटना देखे तो भगवान श्री राम ने इसी ही विजयादशमी यानी दशहरा के दिन ही रावण पर जीत हासिल की थी यानी असत्य पर सत्य का विजय हुआ था धर्म का धर्म पर विजय हुआ था और उसे वजह से ही हम विजयदशमी का उत्सव रावण के पुतले का दहन कर कर मानते हैं साथ ही में मां दुर्गा को याद करके उनका आशीर्वाद लेते हैं